Wednesday, October 5, 2011

क्या हिंदू क्या मुसलमान, यहां तो जीते हैं सिर्फ इंसान

http://www.bhaskar.com/article/UP-hindu---muslim-will-be-alert-to-the-politics-the-bad-news-for-you-2479075.html?HF-4=


 
फैजाबाद। नसीम खान वैसे तो अपनी छोटी सी सिलाई की दुकान की आय से संतुष्ट हैं लेकिन हर वर्ष दशहरा से पहले वह थोड़े से चिंतित हो जाते हैं। गांव में दशकों से हो रही रामलीला का आयोजन सुचारू रूप से हो सके इसलिए उन्हें बड़े पैमाने पर मिले काम लेकर ज्यादा पैसों का बंदोबस्त करना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के मुमताज नगर गांव में नसीम की तरह दूसरे मुसलमान भी रामलीला के आयोजन में दिल खोलकर चंदा देकर सालों से चली आ रही इस परम्परा को संजोए हुए हैं। दशकों से मुसलमान इस रामलीला का आयोजन करते आ रहे हैं।

नसीम खान ने कहा, "हमें गर्व है कि हम इस तरह की परम्परा निभा रहे हैं, जो सही अर्थो में आपसी भाईचारे को मजबूत करती है। हर साल दशहरे पर जब हम लोग रामलीला का आयोजन करते हैं तो हम में ऐसी भावनाएं उमड़ती हैं कि जैसे हम ईश्वर की सेवा कर रहे हैं। आखिरकार हिंदू भाई भी तो उसी ईश्वर की संतान हैं।"

रामलीला का आयोजन रामलीला रामायण समिति के बैनर तले होता है। अब से करीब 47 साल पहले गांव के मुसलमानों ने मिलकर आपसी भाईचारे को मजबूत करने के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया था। मुमताजनगर गांव की आबादी करीब 600 है जिसमें से तकरीबन 65 फीसदी मुसलमान समुदाय के लोग हैं।

समिति के अध्यक्ष माजिद अली ने कहा, "एक मुस्लिम बहुल गांव होने के मद्देनजर मुस्लिम त्योहारों के दौरान मुमताज नगर का महौल बहुत जीवंत और आकर्षक लगता था। गांव में हिंदुओं की आबादी को सीमित देखते हुए हमारे पूर्वजों ने सोचा कि उन्हें हिंदुओं के त्योहारों को बढ़ावा देने के लिए कुछ करना चाहिए। फिर उन्होंने 1963 में रामलीला के आयोजन की शुरुआत की, जो तब से लगातार जारी है।"

अली कहते हैं कि मुसलमान समुदाय के विभिन्न वर्गो के लोग इस समिति के सदस्य हैं। कम आय होने के बावजूद गांव के मुसलमान रामलीला के आयोजन में हर तरह से आर्थिक मदद देते हैं। जो लोग चंदा देने में असफल होते हैं वे रामलीला के आयोजन में श्रमदान देते हैं।

गांव के मुसलमान केवल आर्थिक सहयोग और श्रमदान के जरिए रामलीला के आयोजन तक ही खुद को सीमित नहीं रखते बल्कि वे इसमें अभिनय भी करते हैं। अली ने बताया, "हमारे भाई-बंधु राम, सीता और रावण जैसे रामलीला के मुख्य किरदारों के अलावा मंच पर अन्य कई महत्वपूर्ण किरदार निभाते हैं।"

इस साल यहां रामलीला की शुरुआत एक अक्टूबर से हुई है, जो आठ तारीख तक चलेगी। रामलीला का आयोजन शुरुआत से ही गांव के किनारे एक मैदान में होता आ रहा है। पहले रामलीला का मंचन अस्थाई मंच पर होता था लेकिन कुछ साल पहले आपसी सहयोग से वहां पर एक सीमेंट का मंच बना दिया गया है।

1 comment:

  1. ye apne poorvj ram ji ko pooje yh in ka adhikar hai pr ihne koi rokta bhi to hai aur ye ruk bhi to jate hain nhi to babri bchao kmeti ka virodh krte n ye khan krte hain

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